हर रूप का आलिंगन करती और हर ताल के साथ नाचती खुद को हर पल परिभाषित करती हर क्षण हर रूप का आलिंगन करती और हर ताल के साथ नाचती खुद को हर पल परिभाषित करती ...
जैसे जैसे बड़े हुए हम ये भी चली हमारे संग जैसे जैसे बड़े हुए हम ये भी चली हमारे संग
अधिकार है लोगों को मूल्यांकन का मेरे लिए ये मूल्यांकन से परे विषय था ! अधिकार है लोगों को मूल्यांकन का मेरे लिए ये मूल्यांकन से परे विषय था !
गैरों के लिए खुद को मिटाकर अपना स्वर्ण सर्वस्व लुटाकर। गैरों के लिए खुद को मिटाकर अपना स्वर्ण सर्वस्व लुटाकर।
उन्होंने ही बनाया भारत को महान उन वीरों को मेरा सलाम। उन्होंने ही बनाया भारत को महान उन वीरों को मेरा सलाम।
आखरों को सदैव तुम्हारे होंठों पर रखना चाहता हूँ ! आखरों को सदैव तुम्हारे होंठों पर रखना चाहता हूँ !